"औरत के डर से कैदी बना इंसान: 55 साल का एकांतवास"

             

"औरत के डर से कैदी बना इंसान: 55 साल का एकांतवास"

कहानी शुरू होती है रवांडा के एक छोटे से गांव से, जहां रहते हैं 71 साल के कॉलिटक्से नज़ाम्विता। इनका जीवन किसी आम इंसान से काफी अलग है। वजह? इनका गाइनोफोबिया, यानि महिलाओं का डर।

सोचिए, एक 16 साल का लड़का, जिसकी जिंदगी में अचानक ऐसा मोड़ आता है कि वो फैसला करता है कि वो औरतों से बिल्कुल ना मिलेगा। कॉलिटक्से ने अपने घर के आस-पास एक 15 फुट ऊंची लकड़ी की बड़ी बनाई, ताकि कोई भी महिला उनसे संपर्क न कर सके। ये सुनने में जितना अजीब लगता है, उनके लिए उतना ही जरूरी था।

कॉलिटक्स की जिंदगी का हर दिन एक नई कहानी कहता है। सुबह उठना, अपने आप को कायम रखना, बिना किसी के बात किये, बिना किसी के मिलने की। उनकी दुनिया बस उनके और उनके विचारों के बीच सिमट गई थी।

इस अनोखे इंसान की जिंदगी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। क्या 8 मिनट की फिल्म में, हम कॉलिटक्स की रोज़मर्रा की जिंदगी और उनके निर्माणों की गहराई में उतर सकते हैं। डॉक्यूमेंट्री ने दुनिया को दिखाया कि एक इंसान अपने डर के कारण किस तरह से एक अलग ही दुनिया में जीता है।

कॉलिटक्स के जीवन का ये सफर हमें बताता है कि मानव जीवन कितना विविध और रहस्यमयी हो सकता है। उनकी कहानी से हमें ये भी समझ आता है कि मानसिक स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है और इसे कैसे समझना चाहिए।

तो, आइए, इस कहानी के बारे में हम कॉलिटक्स नज़ामविता के जीवन को समझने की कोशिश करते हैं। उनका ये 55 साल का एकांतवास हमें दिखता है कि हर व्यक्ति की अपनी एक अलग दुनिया होती है, और उस दुनिया को समझने हमारे लिए एक अनोखा अनुभव हो सकता है। गाइनोफोबिया जैसा दुर्लभ डर को पहचानना और समझना, ये हमारे समाज के लिए एक जरूरी कदम है।

कॉलिटक्स नज़ामविता की ये कहानी हमें ये सिखाती है कि हर इंसान की जिंदगी एक कहानी है, और हर कहानी के पीछे एक गहरा अर्थ होता है।

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